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भोजन सम्बंधित आदर्श प्रथाएं

खाद्य पदार्थ बनाकर तैयार करने और परोसने के अलावा,खाद्य पदार्थो का सेवन और खान पान के स्वस्थ आचरण विकसित करने में निम्नलिखित सुझाव आपकी मदद कर सकते हैं। हम आज आपके साथ कुछ ऐसे आदर्श प्रथाएं शेयर करने जा रहे हैं जो कई पीढ़ियों से चली आ रही है और जो आपके और आपके परिवार को स्वस्थ
रखने में मदद करेगी|

1. संतुलित आहार-

संतुलित आहार एक ऐसा आहार है जिसमें कुछ निश्चित मात्रा और अनुपात में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं जैसे कैलरी, प्रोटीन, खनिज, विटामिन इत्यादि|भोजन का सेवन स्वस्थ और संतुलित होने पर रोग कम होते हैं। स्वस्थ भोजन मोटापे को रोकता है और वसा हानि में भी मदद कर सकता है|जंक फूड स्वस्थ खाने के विपरीत है और इसमें बहुत अधिक चीनी, नमक, संतृप्त(saturated) वसा और असंतृप्त(trans) वसा होता है। अतः संतुलित आहार लें|मुख्यतः शरीर की प्रकृति के हिसाब से भोजन करें |हर व्यक्ति के शरीर की बनावट और जरूरतें अलग होती है | आपके लिए आदर्श आहार सूचि के लिए रेजिस्टर्ड डायटिशन या डॉक्टर की सलाह लें और उसका अनुशासन के साथ पालन करें |

2. नियमित समय पर भोजन और नाश्ता (नियमितता) –

भोजन करने का समय सुनिश्चित करें| नियमित समय पर भोजन करना स्वास्थ के लिए अति लाभदायक है| खाने के सही समय का वर्णन इस लेख में विस्तारपूर्वक बताया है|

नाश्ता करने का सही समय

सुबह उठने के 30 मिनट बाद नाश्ता करें, सामान्यतः नाश्ता करने का सही समय सुबह 7-10 बजे माना गया है|

दोपहर के खाने का समय

नाश्ते और दोपहर के भोजन के बिच कम से कम 4 घंटे का अंतराल जरूर रखें| दोपहर का खाना खाने का उचित समय 12.30 से 2 के मध्य है|

रात का खाना खाने का सही समय

रात के खाने का सही समय शाम 7 बजे से पहले माना जाता है| रात का खाना खाने और सोने के बिच में कम से कम तीन घंटो का अंतराल होना चाहिए|

3.खाना खाने के सही तरीके –

खाना खाते समय की गई छोटी गलती भी आपके लिए कई बार परेशानी का कारण बन सकता है| तो आइये जानते है खाना खाने के कुछ आदर्श तरीके|

(A) खाना खाते समय जल्दबाजी नहीं करना चाहिए| छोटे छोटे निवाले लें और अच्छे से चबा कर भोजन खाएं| इससे पाचन क्रिया सरल होती है| खाते समय बातचीत ना करें|खाते समय बात करने से खाद्य पदार्थ श्वास नली में जाने का खतरा रहता है| श्वासनली अवरोधित हो सकती है और सांस न ले पाने की वजह से व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

(B) पुराने समय से ही निचे बैठ कर खाना खाने की प्रथा चली आ रही है और बड़े बुजुर्ग भी निचे बैठकर खाने की ही सलाह देते आए है|आयुर्वेद के अनुसार सुखासन में बैठ कर खाना खाने से पाचन क्रिया मजबूत होती है|

4. भोजन सम्बंधित ध्यान रखने योग्य बातें :-

(A) भोजन के दौरान, तुरंत पहले या तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए| ऐसा करने से पाचन करने वाले रस एवं एन्जाइम का सांद्रण घट जाता है,जिससे पाचन में मुश्किल आ सकती है| खाना खाने के आधे घंटे बाद पानी पीना उचित माना गया है|

(B) दही के साथ खासतौर पर खट्टे फल नहीं खाने चाहिए| दरअसल दही और फलों में अलग-अलग एन्जाइम होते हैं, इस कारण वे पच नहीं पाते| इसलिए दोनों को साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती है | इसके अलावा दही की तासीर ठंडी है, उसे किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए| जैसे की प्याज़ की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए प्याज़ को दही के साथ नहीं खाना चाहिए| दही की तरह मछली में भी प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है, जिसकी वजह से इन्हे एक साथ खाने से पाचन सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती है|

(C) बासीऔर जला हुआ भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि उसमें मौजूद पोषक तत्व कम हो जाते हैंऔर लंबे समय तक रखे हुए भोजन में बैक्टीरिया प्रवेश कर जाता है, जिससे फूड पॉइज़निंग होने का खतरा रहता है|

(D) भोजन के पश्चात दिन में एवं रात में टहलनाहाज़मा में मददगार होता है|

(E) खाने में बाजार की शक्कर की मात्रा कम से कम लें|वैकल्पिकतौर पर फलों में प्राकृतिक शक्कर होती ही है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होती|

(F) सब्जियां, फलिया, अनाज,ड्राई फ्रूट्स और रस भरे फलों का यथोचित सेवन करें |

(G) आजकल कई लोग पूरक विटामिन का सेवन करते हैं| खानपान पर ध्यान देने की बजाए पूरक विटामिन के सेवन से शरीर को दुरुस्त रखने में विश्वास रखते हैं|ध्यान रखे कि पूरक विटामिन कभी भी संतुलित आहार की जगह नहीं ले सकते क्योकि संतुलित आहार विटामिनो के साथ साथ शरीर की दूसरी आवश्यकताओं को भी पूरा करता है|अतः पूरक विटामिनो का सेवन डॉक्टर के निर्देश मिलने पर ही करें |

(H) बहुत ज्यादा तेल,मसालों से बने, तला हुआ तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढककर रखें और ताजा भोजन खाएं।

5. पानी का सेवन –

शरीर में पानी की मात्रा पर्याप्त न होने से डिहाइड्रेशन, किडनी की समस्या, त्वचा संबंधी समस्या, उल्टी, बुखार और कई अन्य परेशानियां हो सकती है । पानी की सही मात्रा से ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है| विशेषज्ञों के मुताबिक, एक इंसान को रोजाना औसतन 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए, लेकिन गर्मी अधिक बढ़ने पर पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है| ऐसी स्थिति में रोजाना 3 से 4 लीटर पानी पी सकते हैं| याद रखें कि पानी को एक सांस में पीने की जगह घूंट-घूंट करके पिएं| खुद को डिहाइड्रेटेड होने से रोकने के लिए हमें पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेने की ज़रूरत होती है।

6. सक्रिय रहें और संतुलित वज़न रखें –

स्वस्थ और संतुलित आहार लेना स्वस्थ वज़न बनाये रखने में मुख्य भूमिका निभाता है। वज़न अधिक होना या मोटापाहमें डायबिटीज, कुछ प्रकार के कैंसर, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी अवस्थाओं तक ले जा सकता है। कम वज़न का होना भी आपके स्वास्थ्य पर असर डालता है, जिससे आपको कमजोरी और अन्य रोग भी हो सकते हैं|

अधिकांश वयस्कों को वज़न कम करने की ज़रूरत पड़ती है। और ये करने के लिए उन्हें सही मात्रा में कैलरी लेनी चाहिए। अगर आप वज़न कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो कम खानेके बजाए सही चीज़े सही मात्रा में खाने का लक्ष्य रखेंजिससे आपका वज़न नियंत्रित हो सके,और ज़्यादा सक्रिय भी रहें। स्वस्थ और संतुलित आहार आपकी मदद कर सकते हैं। उन खानों में कटौती करने का प्रयास करें जिसमें संतृप्त वसाऔर चीनी अधिक मात्रा में होती है, और पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां लें।

शारीरिक सक्रियता आपको वज़न कम करने में मदद कर सकती है। सक्रिय होने का ये मतलब नहीं कि घण्टों जिम में रहना है। आप अपने दैनिक जीवन में फिट रहने के अधिक तरीके खोज सकते हैं। उदाहरण के लिए काम से घर के रास्ते में बस से एक स्टॉप पहले उतर जाएं और चलकर जाएंया एलवेटर लेने के बजाए सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।शारीरिक रूप से सक्रिय होना आप में हृदयरोग, स्ट्रोक और डायबिटीज़ होने के खतरे को कम करता है।

7. वसा युक्त पदार्थो का सेवन नियंत्रित मात्रा में करें-

शक्कर और नमक के साथ साथ अतिरिक्त वसा को भी मनुष्य के शरीर का दुश्मन माना गया है| जितना हो सके उतना तैलीय पदार्थो का सेवन कम करें|

उचित वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए भोजन सम्बंधित आदर्श नियमो का पालन बहुत जरुरी है|हमारा आहार संतुलित तब ही कहलाएगा जबवो हमारी शारीरिक जरूरतों को पूरा कर पायेगा।

हमारी शारीरिक जरूरतें कई कारकोंपर निर्भर करती हैजैसे आयु,लिंग,जलवायु,शारीरिक कार्य आदि। हमारा संतुलित आहार भी इन्हीं कारकोंपर निर्भर है।

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